Book Details
- Publisher : Hind Pocket Books; First edition (1 January 2015)
- Language : Hindi
- Paperback : 256 pages
- ISBN-10 : 8121620341
- ISBN-13 : 9788121620345
- Item Weight : 260 g
- Dimensions : 20 x 14 x 4 cm
Description
युगप्रर्वतक साहित्यकार नरेन्द्र कोहली के आदर्श जीवन के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित कर अँधेरे से उजाले की ओर ले जाने वाला प्रेरक उपन्यास। युगप्रवर्तक साहित्यकार नरेन्द्र कोहली ने भारतीय संस्कृति के अनेक पौराणिक प्रसंगों को अपने उदात्त लेखन से पुनर्जीवित कर आधुनिक संदर्भों में उनका पुनर्सृजन किया है और इस प्रकार जनसामान्य को उनकी महिमा से अवगत कराया है। रामायण और महाभारत पर आधारित उनके वृहद् उपन्यास ‘रामकथा’ और ‘महासमर’ आज वाल्मीकि, तुलसी और व्यास के मूल ग्रंथों से भी अधिक पढ़े और सराहे जाते हैं। विवेकानंद जैसे आधुनिकयुगीन प्रेरक व्यक्तित्व को भी उन्होंने अपनी ‘तोड़ो कारा तोड़ो’ नामक उपन्यास-शृंखला द्वारा पुनः जीया है। कहने की आवश्यकता नहीं कि यह नरेन्द्र कोहली का अपना ही आदर्श व्यक्तित्व और जीवन है, जो उनकी इन बहुपठित और बहुप्रशंसित कृतियों में झलका है, क्योंकि लिखने के लिए हम वही पात्रा, प्रसंग और विषय चुनते हैं, जिनसे हमारा अपना तादात्म्य होता है और जिनमें हम अपना ही प्रतिबिंब पाते हैं। गद्य की सभी विधाओं में अपनी छाप छोड़ने वाले नरेन्द्र कोहली पर यों तो डेढ़ सौ से अधिक शोधपरक तथा अन्य पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं और निरंतर लिखी जा रही हैं, किंतु अब समय आ गया है कि उनके अपने जीवन पर उपन्यास जैसी कथा-कृतियाँ आएँ। हिन्द पाॅकेट बुक्स को डाॅ. कविता सुरभि के इस उपन्यास के प्रकाशन के साथ यह सिलसिला शुरू करने पर गर्व है। शिक्षण जैसे पवित्रा समझे जाने वाले कर्मक्षेत्रा में व्याप्त बुराइयों, अन्याय और, विशेषकर नारी के, शोषण के अँधेरे से नरेन्द्र कोहली के आदर्श और सिद्धांत किस तरह लेखिका को उजाले की ओर ले गए और पाठकों को भी ले जाने में सक्षम हैं, यही इस उपन्यास की विषयवस्तु है।